आयुर्वेद की मदद से पाएं कोलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण

आयुर्वेद एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति है जो शरीर, मन और आत्मा के संतुलन को बनाए रखने के लिए उपयोगी है। आजकल, कोलेस्ट्रॉल एक आम समस्या है जो लोगों को प्रभावित करती है। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर के संतुलन को बनाए रखने के लिए प्राकृतिक उपचारों का उपयोग करना उपयोगी होता है।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कई कारण होते हैं जैसे अधिक खुराक वाले भोजन, अधिक तेल  वाले खाद्य पदार्थों का सेवन, नपुंसकता, वजन की समस्या और तनाव।

आयुर्वेद में कई प्राकृतिक उपचार हैं जो कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इन उपचारों में आँवला , अश्वगंधा, त्रिफला, गुग्गुल, हल्दी, मेथी, लहसुन, ग्वारपाठा आदि शामिल हैं। इन उपचारों के सेवन से शरीर का वजन नियंत्रित होता है, रक्तचाप संतुलित होता है और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है।

क्या है कोलेस्ट्रॉल ?

कोलेस्ट्रॉल एक प्रकार का वसा होता है जो आपके शरीर के सभी कोशिकाओं, विशेष रूप से आपके नसों और अंगों की नसों के निर्माण में उपयोग किया जाता है। यह आपके शरीर में कुछ स्तर तक उपयोगी होता है, लेकिन अधिक मात्रा में होने पर यह आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार का होता है: एचडीएल (HDL) और एलडीएल (LDL)। एचडीएल कोलेस्ट्रॉल को “अच्छा” कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है, क्योंकि यह शरीर में उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम करने में मदद करता है। दूसरी ओर, एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को “बुरा” कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है, क्योंकि यह आपके शरीर में उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर को बढ़ाने का कारण बनता है।

यह जरूरी होता है कि आप अपने कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रित रखें, क्योंकि उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर से हृदय रोग, शरीर में खून की बहुत सारी बीमारियों और दूसरी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।

कोलेस्ट्रॉल के आयुर्वेदिक उपचार

कोलेस्ट्रॉल के लिए आयुर्वेदिक उपचार कई तरह से होते हैं। इसमें आहार व्यवस्था, व्यायाम, औषधि और अन्य उपचार शामिल होते हैं। निम्नलिखित आयुर्वेदिक उपचार उपयोगी हो सकते हैं:

  • आँवला :  आँवला  एक प्राकृतिक उपचार है जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। आँवला में विटामिन सी की भरपूर मात्रा होती है जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करती है। इसके अलावा, आँवला  में एंटीऑक्सिडेंट और विशेष वसा-घटाने गुण होते हैं जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, आँवला  में फाइबर भी होता है जो भी कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।

आँवला का सेवन कई तरीकों से किया जा सकता है। इसे खाने के रूप में खा सकते हैं या फिर इसे अचार, मुरब्बा या जूस बनाकर सेवन किया जा सकता है। इसे दिन में एक बार खाने के बाद लेना चाहिए।

  • अश्वगंधा : अश्वगंधा (Withania somnifera) एक जड़ी बूटी है जो पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा में आमतौर पर उपयोग की जाती है। इसे कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रित करने में मदद करने की संभावना होती है।

कुछ अध्ययनों ने सुझाव दिया है कि अश्वगंधा कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम करने में मदद कर सकती है। इसका एक तरीका यह हो सकता है कि यह आंत में कोलेस्ट्रॉल के अवशोषण को कम करती है। एक अध्ययन में, जिन प्रतिभागियों ने अश्वगंधा एक्सट्रैक्ट लिया था, उनमें कुल कोलेस्ट्रॉल और एलडीएल (LDL) कोलेस्ट्रॉल के स्तर में एक अहम कमी देखी गई थी जो एक प्लेसबो समूह से तुलना में थी।

इसके अलावा, अश्वगंधा में एंटीऑक्सिडेंट गुण होने के कारण, यह एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का ऑक्सीकरण रोकने में मदद कर सकती है। अश्वगंधा को नुकसान पहुंचाने वाली दवाओं के साथ सेवन नहीं करना चाहिए और इसके सेवन से पहले एक डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

  • त्रिफला : त्रिफला कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता  है। यह एक आयुर्वेदिक दवा है जिसमें तीन फलों का मिश्रण होता है – आंवला, हरड़ और बहेड़ा। यह शरीर में शोधन का कार्य करता है और विभिन्न समस्याओं को दूर करने में मदद करता है, जिसमें कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी शामिल है।

त्रिफला में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इन्फ्लामेटरी गुण भी होते हैं जो शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा, त्रिफला में प्राकृतिक वसा और फाइबर होते हैं जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं।

त्रिफला कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए बेहतर तरीके में से एक होता है कि आप इसे नियमित रूप से उपयोग करें। आप इसे कई रूपों में उपयोग कर सकते हैं, जैसे कि कैप्सूल या छाल के रूप में। आप इसे आपके चिकित्सक की सलाह पर भी उपयोग कर सकते हैं।

  • गुग्गुल : गुग्गुल भी कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायता करता है। गुग्गुल एक प्राकृतिक उत्पाद होता है जो आयुर्वेदिक दवाओं में उपयोग किया जाता है। इसमें एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-इन्फ्लामेटरी और कोलेस्ट्रॉल-लोअरिंग गुण होते हैं जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं।

गुग्गुल में गुग्गुलस्टेरोन नाम का एक संचारक होता है जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करता है। इसके अलावा, गुग्गुल में गुग्गुलोन नामक दो और एक्टिव इंग्रीडिएंट्स होते हैं जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं।

अधिकतर लोग गुग्गुल कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए सुझाव देते हैं कि आप गुग्गुल के सप्लीमेंट को नियमित रूप से उपयोग करें। आप इसे आपके चिकित्सक की सलाह पर भी उपयोग कर सकते हैं।

  • लहसुन : लहसुन कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद कर सकता है। इसमें एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल के लिए विशेष रूप से उपयुक्त तत्वों को सुरक्षित रखते हैं। इसके अलावा, लहसुन में एलीसिन नामक एक कम्पाउंड होता है जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करता है।

लहसुन कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए सुझाव दिए जाते हैं कि आप दूसरी चीजों के साथ लहसुन का सेवन करें, जैसे कि सलाद, सब्जी, और सूप। आप इसे कई प्रकार से खाने में ले सकते हैं ।

यदि आप लहसुन कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए सप्लीमेंट लेना चाहते हैं, तो आप इसे अपने चिकित्सक से परामर्श ले सकते हैं, क्योंकि लहसुन से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के लिए इसकी सही मात्रा जानना जरूरी होता है।

  • हल्दी : हल्दी या टर्मरिक भी कोलेस्ट्रॉल के लिए एक कारगर जड़ी बूटी है। यह एक प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट होता है जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल के लिए विशेष रूप से उपयुक्त तत्वों को सुरक्षित रखता है।

हल्दी के एक मुख्य तत्व करक्यूमिन होता है, जो कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करता है। करक्यूमिन रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और सर्दियों के समय विशेष रूप से इसका उपयोग बढ़ जाता है। हल्दी का उपयोग कई रूपों में किया जा सकता है, जैसे कि सब्जियों में या अधिक संग्रहित रूप से टेबलेट या सप्लीमेंट के रूप में।

हालांकि, यदि आप किसी भी विशेष स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित हैं, तो आपको हल्दी लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। वैसे भी, हल्दी अधिक मात्रा में लेने से कुछ लोगों को उनके शरीर की समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए सही मात्रा जानना बेहद जरूरी होता है।

  • मेथी : मेथी के बीज कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं। मेथी में विशेष तत्व मेथीन होता है जो शरीर के कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम करता है। मेथी के बीज बढ़ते हुए कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करते हैं और रक्त शर्करा स्तर को भी संतुलित रखने में मदद करते हैं।

मेथी को विभिन्न रूपों में लिया जा सकता है, जैसे कि मेथी के पत्तों या मेथी के बीज के रूप में । आप मेथी के बीजों को पीसकर उन्हें दूध, पानी या जूस में मिलाकर ले सकते हैं।

हालांकि, यदि आप किसी भी विशेष स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित हैं, तो आपको मेथी लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। वैसे भी, मेथी के बीज अधिक मात्रा में लेने से कुछ लोगों को उनके शरीर में समस्याएं भी हो सकती हैं, इसलिए सही मात्रा जानना बेहद जरूरी होता है।

  • धनिये के बीज : धनिये के बीज कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मददगार साबित होते हैं। धनिये के बीज में अनेक औषधीय गुण होते हैं जो अधिक कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं। धनिये के बीज में लेमोनेन नामक एक विशेष प्रकार का वसा होता है, जो कोलेस्ट्रॉल को बाहर निकालता है और इससे शरीर का कोलेस्ट्रॉल स्तर कम होता है। इसके अलावा धनिये के बीज में अन्य गुण भी होते हैं जैसे कि एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटिबैक्टीरियल आदि जो शरीर को संतुलित रखने में मदद करते हैं। इसलिए, धनिये के बीज को खाने में शामिल करके कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करना बेहतर विकल्प हो सकता है।
  • हरी चाय : हरी चाय कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में अत्यधिक सहायक हो सकती है। हरी चाय में पाये जाने वाले एक विशेष प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट, कैटेकिन नाम से जाने जाते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। कैटेकिन अधिकतर वसा को खत्म करने में सक्षम होते हैं, जो शरीर के कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके अलावा, हरी चाय में मौजूद पॉलीफेनोल नामक एक अन्य एंटीऑक्सीडेंट भी होता है जो शरीर के लिए फायदेमंद होता है। हरी चाय का सेवन नियमित रूप से किया जाना चाहिए ताकि शरीर के कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिल सके।

अधिक कोलेस्ट्रॉल वाले लोगों को कुछ खाद्य पदार्थ नहीं खाने चाहिए जो उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचा सकते हैं। निम्नलिखित खाद्य पदार्थों से दूर रहें:

  • भारी खाद्य पदार्थ जैसे बटर, क्रीम, मक्खन आदि।
  • अधिक मसालों वाले खाद्य पदार्थ जैसे कि फ्रेंच फ्राइज, चाट, फ्राइड राइस आदि।
  • बच्चों की फेवरेट चीज़े जैसे चिप्स, केक, बिस्किट, पिज्जा आदि।
  • तला हुआ खाना जैसे समोसा, वड़े, फिश फ्राई, आदि।
  • अधिक मिठाई जैसे कि जेली, आइसक्रीम, केक आदि।
  • अधिक तेल वाले भोजन जैसे कि बटर चिकन, चिकन करी, मटन करी, बिरयानी, आदि।

इसके अलावा, अधिक आलू, मैदा, चावल, चीनी आदि जैसे उपयोग नहीं करने चाहिए। इन खाद्य पदार्थों की जगह अधिक सब्जियां, फल, दाल, ब्राउन राइस, ओट्समील, गेहूं आदि का उपयोग करना चाहिए।

निष्कर्ष : 

इस तरह से, आयुर्वेद की मदद से उच्च कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के कुछ अधिकांश तरीके उपलब्ध हैं। उच्च कोलेस्ट्रॉल से बचने के लिए, आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन, संतुलित आहार, योग और ध्यान जैसे तरीकों का उपयोग किया जाना चाहिए। सभी इन उपायों को संयुक्त रूप से अपनाने से उच्च कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करना संभव होता है और स्वस्थ जीवन जीने में मदद मिलती है। लेकिन, कोलेस्ट्रॉल की समस्या समय रहते एक चिकित्सक की सलाह लेना भी जरूरी होता है।

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